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ध्येयवाक्यानि। |
अल्पाक्षरैः अनन्त, गाम्भीर्य, गहनार्थयुक्तानि तादृशध्येयवाक्यानि गुरुः इव, मित्रमिव, श्रेयोभिलाषी इव अस्मान् निरन्तरं प्रेरयन्ति। जीवनयाने सत्प्रदर्शनं कुर्वन्ति। सूत्र, मन्त्र, तन्त्र, सूक्ति, सुभाषितरूपेण असंख्याकानि प्रेरणावाक्यानि सन्ति। तानि पठ्यमानाः जनाः नूतनोत्साहं, चैतन्यं, स्फूर्तिं च प्राप्नुवन्ति ।
उदाहरणरूपेण कानिचन ध्येयवाक्यानि पश्यामः -
भारतप्रशासनादारभ्य अनेकप्राशासनिककार्यनिर्वहणसंस्थाः, प्रशासनिकतदितरविद्यासंस्थाः, स्वच्छन्दसेवाधार्मिकसांस्कृतिकसंस्थाः च विविधग्रन्थेभ्यः विविधसंस्कृतसूक्तीः ध्येयवाक्यरूपेण स्वीकृत्य स्व स्व लक्ष्यसाधने प्रेरणां लभन्ते। एतत् संस्कृतभाषायाः औन्नत्यं प्रकटयति ।
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आकाशवाणी “बहुजनहिताय बहुजनसुखाय” इति वाक्यानुगुणं जनानां हितार्थं, सुखार्थं, संगीत, साहित्य, सांस्कृतिकादि कार्यक्रमैः जनान् रञ्जयति।
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विद्याभारती प्रमुखस्वच्छन्द विद्यासंस्था जातीयस्तरे नैक विद्यालयात् चालयति । तेषु विद्यालयेष् भारत्यविद्यापद्धत्या विद्याबोधनं कुर्वन्ति। तस्याः विद्यासंस्थायाः ध्येयवाक्यं “सा विद्या या विमुक्तये” इति उपनिषद्वाक्यम्। विद्या केवलम् उदरपोषणार्थं न संसारबन्धं विमुक्तिरूप मोक्षप्राप्तिः एव। तादृशी विद्या आध्यात्मिकी विद्या एव, इति विद्यायाः परमार्थतत्त्वं ज्ञापयति एतद् ध्येयवाक्यम्।
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न केवलं भारतदेशे, परन्तु विश्वे सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक तथा सेवा संस्था श्री रामकृष्णमठः (Sri Rama Krishna Mission) तत्मठस्य ध्येयवाक्यम् “तन्नो हंसः प्रचोदयात्” परमात्मा बुद्धिं सत्यमार्गे प्रचोदयात् इत्यर्थः। श्री रामकृष्णपरमहंसगुरोः आशयान् विश्वव्याप्तान् कर्तुं स्वामी विवेकानन्देन स्थापितः अयं मठः।
एवं बहुविध संस्कृतसूक्तयः अस्मान् निरन्तरं प्रेरयन्ति, एषा संस्कृतभाषायाः महिमा अस्ति।
Courtsey - www.wikipedia.org
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Sun, 16 Sep 2012 15:59:34 UTC |
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