भारती मनोहरी - कोरमंगलं कृष्णकुमारः।

अखिललोक दीप एव भारतं विराजते।

भारतस्य भावनाय भावयाम संस्कृतम्।।

शान्तसिन््धु वंगसिन््धु भूषिता मनोहरी।

पश्चिमाब्धिलालिता चकासते च भारती।।

मानिषादमुनिवचोभिरादृतं च वाङ्मयम्।

व्यास भास कालिदास पोषितं तु संस्कृतम्।।

हर्ष बाण माघ भोज पूरितञ्च संस्कृतम्।

विदर्भ पालि मगध द्रविड भाषया च सेविता।।

अर्थशास्त्र धर्मशास्त्र कामसूत्रगर्भिता।

पञ्चतन्त्रसागरेण पालितं च भारती।।

सन््ततेस्सुपूजनाय संततं तु संस्कृतम्।

सन््तधीस्सुसेविता च भवतु नाम संस्कृतम्।।

शङ्करस्य माधवस्य मधया प्रचोदिता।

भारती मनोहरी भास्वती च शाश्वतीः।।

मण्डनाय खण्डनाय चिन्तनाय संस्कृतम्।

पोषणाय जीवनाय मनुमहे च संस्कृतम्।।

लेखनाय वाचनाय भाषणाय संस्कृतम्।

भारतीविभूषणाय लसतु नाम संस्कृतम्।।

चिदम्बरेsपि धरतु तत्र भारतीयसंस्कृतिम्।

ह्रदन्तरे हि लसतु तत्र भारतीय संस्कृतम्।।

निरन्तरं निरङ्कुशं निरर्गलञ्च संस्कृतम्।

वदतु वत्स, वदतु वत्स, मानवीय संस्कृतम्।।

 

Wed, 24 Nov 2010 15:37:59 UTC