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संस्कृतव्याकरणपाठाः - श्री एन्.के रामचन्द्रः। |
३. चित्, चन, अपि प्रत्ययाः।
कथासु एतिह्येषु च प्रायः एषां प्रत्ययानां प्रयोगः दृश्यते। नामादीनाम् अनियतत्वे एतेषां प्रसक्तिः। प्रश्नवाचकशब्देभ्यः किं शब्दस्य अपि, चित्, चन प्रत्ययाः प्रयुज्यन्ते।
"अपि चित् चनयोगे किं शब्दः अनियतार्थकः" इति नियमः।
वने एकः सिंहः आसीत् इत्युक्ते सिंहमधिकृत्य सर्वं ज्ञातम् इति प्रतीतिः। अपि च वने एकः एव सिंहः इत्यपि प्रतीयते। परं वने कश्चन सिंहः आसीत् इत्युक्ते अनेकेषु सिंहेषु कश्चन इति अनियतार्थकत्वं च सिध्यति।
अपि, चित्, चन प्रत्ययाः किं शब्देन सह युज्यते चेत् अनियतवाची सर्वनामपदानि भवन्ति। चित्प्रत्ययान्तकिंशब्दस्य त्रिषु लिङ्गेषु रूपाणि एवम्।
पुल्लिङ्गः स्त्रीलिङ्गः नपुंसकलिङ्गः
प्रथमा कश्चित् काचित् किञ्चित्
द्वितीया कञ्चित् काञ्चित् किञ्जित्
तृतीया केनचित् कयाचित् केनचित्
चतुर्थी कस्मैचित् कस्यैचित् कस्मैचित्
पञ्चमी कस्माच्चित् कस्याश्चित् कस्माच्चित्
षष्ठी कस्यचित् कस्याश्चित् कस्यचित्
सप्तमी कस्मिश्चित् कस्याश्चित् कस्मिंश्चित्
एवमेव अपि, चन प्रत्ययानां योगे अपि ।
तथा कुत्र, कति, कदा, कथं, कुतः, इत्यादिषु प्रश्नवाचकशब्देष्वपि एते प्रत्ययाः योजनीयाः।
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Tue, 20 Jul 2010 16:38:59 UTC |
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