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स्वातन्त्र्यगीतम्। कविता - Pradeepkumar, Belljur GHSS, Kasargod. |
गायामो वयमुच्चैरुच्चैः
स्वातन्त्र्यस्य सुगीतम्।
वहाम नूनं जन्मधरित्र्याः
त्रिवर्णपताकामेवम्।।
भारतमेकम् एकं भवति
एका भारताजनता।।
एको धर्मः एका माता
समानरक्तम्
एकं कुलमस्माकम् ।
सत्यम् धर्मः सैहेदर्यम्
अस्मज्जीवनमन्त्रम्
स्नेहं सहनं सर्वसमत्वम्
अस्मद्मोचनतनतन्त्रम्
असम्द्वसुरपि स्वर्गं सर्वम्
जन्मधरा हि सदापि
एतद्देशसुरक्षायै वयम्
प़ड्क्तिषु झचिति मिलामः।।
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Thu, 26 Jun 2014 05:27:29 CDT |
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